@pure.vichar
#Assalamu__Alaikum____
मैं मसरूफ थी बिरयानी के नुक्स निकालने में
और वो सूखी रोटी के लिये रब को लाख शुकराना दे गया
― अज्ञात
@pure.vichar
जो प्रेम पंख दे वही असली प्रेम है
बाकी सब तो बंधन है
― अज्ञात
@pure.vichar
मैने तुमसे चाहा ही क्या था
तुम्हारे साथ के सिवा
― अज्ञात
@pure.vichar
अब डर लगता मुझे उन लोगों से
जो कहते हैं मेरे यक़ीन तो करो
― अज्ञात
@pure.vichar
मेरा लिबास थे वो शख्स
रकीबों को मुबारक यो उतरन मेरी
― अज्ञात
@pure.vichar
पूछ लेते बस वो मिजाज़ मेरा
कितना आसान था इलाज मेरा
― अज्ञात
@pure.vichar
बड़े मजबूत हो जाते हैं वो लोग
जिनके पास खोने को कुछ नहीं बचता
― अज्ञात
@pure.vichar
ज़रूरत बनो
Option नहीं
― अज्ञात
@pure.vichar
शत्रु के गुण को ग्रहण
करना चाहिए
― अज्ञात
@pure.vichar
जिस शख्स की गलती गलती ना लगे
किताब ए इश्क़ में उसे महबूब कहते हैं
― अज्ञात
@pure.vichar
मंज़िल कैसी भी हो
मगर सफर काटों से भरा है
― अज्ञात
@pure.vichar
मन की शांति ही
सबसे बड़ा धन है
― अज्ञात
@pure.vichar
संकल्प लीजिए जो गलती कल आप से हुई
वो आज आप नहीं दोहराएंगे
― अज्ञात
@pure.vichar
हल्की सी परवाह
रिश्ता बरकार रखती है
― अज्ञात
@pure.vichar
कुछ तो है तेरे मेरे दरमियाँ
― अज्ञात
@pure.vichar
हर चाहत
राहत नहीं देती
― अज्ञात
@pure.vichar
ख्वाब झूठे ही सही
तुमसे मुलाक़ात तो करवाते है
― अज्ञात
@pure.vichar
कबीरा इस देह का तनिक भरोसा नाहीं
कल देखा बाजार में आज श्मशान माहीं !
― अज्ञात
@pure.vichar
जिसे रुलाना सबसे आसान लगे
तो समझ जाना कहीं ना कहीं वो तुमसे प्यार करता है
― अज्ञात
@pure.vichar
हो गया ख़त्म तमाशा तो मैं जाऊं वापस!!
― अज्ञात
@pure.vichar
उम्मीद अच्छी है
पर हर किसी से नहीं !!
― अज्ञात
@pure.vichar
उम्मीदें ही मानसिक
दुखों का कारण है !
― अज्ञात
@pure.vichar
तारीफें दिन बनाती है
और ताने ज़िन्दगी!
― अज्ञात
@pure.vichar
कुछ उसे भी दूरियाँ पसंद आने लगी
थी कुछ मैंने भी वक़्त माँगना छोड़ दिया !
― अज्ञात
@pure.vichar
बुराई वही करते हैं
जो बराबरी नहीं कर सकते..!!
― अज्ञात
@pure.vichar
किसी ने कहा स्त्री कमजोर होती है
अगर स्त्री कमजोर होती तो वो कभी मर्द पैदा नहीं करती..!!
~~अलोन~~
― अज्ञात
@pure.vichar
हम अपनी मर्जी के मालिक हैं
तुम हसीन हो तो भाड़ में जाओ !!
― अज्ञात
@pure.vichar
|| रिश्तों में राजनीति , मुझसे होती नहीं
डंके की चोट पर ,मतलब परस्तों को छोड़ देता हूं ||
― अज्ञात