@pure.vichar
कभी पीठ पर हुए वारो को गिनना उतने ही निकलेंगे
जितनो को तुमने गले से लगाया था
#wafa
― अज्ञात
@pure.vichar
जिस्म सौंप देने से अगर मोहब्बत बढ़ती
तो सबसे ज्यादा आशिक किसी वेश्या के होते
#wafa
― अज्ञात
@pure.vichar
लोग अच्छे की तलाश में
सच्चा भी खो देते हैं
― अज्ञात
@pure.vichar
लाइफ में सब कुछ चल रहा है
सिवाय उसके जो मै चाहता हूं
― अज्ञात
@pure.vichar
ठीक कुछ नहीं होता बस
आदर सी हो जाती है
― अज्ञात
@pure.vichar
उड़ना है तो
गिरने का डर निकाल दो
― अज्ञात
@pure.vichar
पसंदीदा शख्स की लापरवाही आपको
मानसिक रोगी बना देती है
― अज्ञात
@pure.vichar
कभी कभी वक़्त के साथ सब
ठीक नहीं सब ख़त्म हो जाता है!
― अज्ञात
@pure.vichar
मैंने जो सबसे कठिन सबख सीखा है
वह है जाने देना
― अज्ञात
@pure.vichar
सुंदर स्त्री और कमाऊ पुरुष के अलावा
दुनिया में जो भी हैं समाज उसे रद्दी समझता है
#wafa
― अज्ञात
@pure.vichar
लड़ाई जारी है भाग्य
से वक्त से, अपने आप से !
― अज्ञात
@pure.vichar
दिसंबर जाने को है नया साल आने को है
वो पुराने तुम कब लौट कर आओगे
#wafa
― अज्ञात
@pure.vichar
इतिहास गवाह है चाहे
धरती पर कितना भी
बड़ी मुसीबत क्यूं न आ जाए
लोग शादी करना नही छोड़ेंगे
― अज्ञात
@pure.vichar
उन बद्दुआओं से डरें
जो बोलकर नही दी जाती
― अज्ञात
@pure.vichar
रावण कभी नहीं मरता
― अज्ञात
@pure.vichar
कुछ दिन बहुत खुश था में
अब बस उसी खुशी का कर्ज उतार रहा हूं में
― अज्ञात
@pure.vichar
झूठ किसी भी संबंध का अंत करने में अहम भूमिका निभाता है , क्योंकि सच आज नहीं तो कल सामने आ ही जाता है
#wafa
― अज्ञात
@pure.vichar
हम गाँव वालों ने ही बचा रखा है रातों का वजूद
तुम शहर वाले तो अंधेरा ही नहीं होने देते
― अज्ञात
@pure.vichar
मैं अब खुद भी नहीं चाहता
की कोई अब मुझे चाहे
― अज्ञात
@pure.vichar
आपकी हर वो जीत हार हैं जिसका
मक़सद किसी को नीचा दिखाना हो
― अज्ञात
@pure.vichar
ॐ श्री लक्ष्मी गणपतएं नमो नमः
― अज्ञात
@pure.vichar
हर हर #महादेव
― अज्ञात
@pure.vichar
पुरूष का दूसरा नाम संघर्ष है
और औरत का आत्मसमर्पण
― अज्ञात
@pure.vichar
अब किसी से शिकायत नहीं करता
बस खामोश हो जाता हूँ
― अज्ञात
@pure.vichar
चिराग सी तासीर रखिए
सोचिए मत की घर किसका रौशन हुआ
― अज्ञात
@pure.vichar
ताल्लुक रहें या ना रहें
राज़ हमेशा राज़ रहने चाहिए
Good afternoon
― अज्ञात
@pure.vichar
मैं कैसे ईद मनाऊं
मेरा तो चाँद ही मुझसे रूठा बैठा है
#wafa
― अज्ञात
@pure.vichar
रूठने वाला रूठता है तो रूठ जाए
हम मनाने का हुनर अब भूल चुके हैं
― अज्ञात